विषय वस्तु

शनिवार, 19 नवंबर 2011

जीतन के फाँसी सजा विरोध में अपील गीत

आव रे ऽ ऽ आव रे-२
आव रे भाइया बहिन मन मिल-जुली के
जीतन मरांडी के बचाय लेवब रे
फाँसी के फंदा से छुड़ाय लेवब रे!
पूँजीपतिक राज में लूट शोषण दमन माय बहिन कर मन लूटालक,
से देख जागलक जीतन मरांडी जनता के डहर दिखालक!
आव रे भाइया-बहिन मन मिल-जुली के
जीतन मरांडी के बचाय लेवब रे,
फाँसी कर फंदा से छुड़ाय लेवब रे!
जीतन मरांडी जनमुक्ति खातिर गीत के स्वर सजालक,
ढोल नगेरा मंदर बजाय के मुक्ति कर गीत के गालक!
आव रे भाइया-बहिन मन मिल-जुली के
जीतन मरांडी के बचाय लेवब रे,
फांसी कर फंदा से छुड़ाय लेवब रे!
शोषण जालिम कर लूट शोषण के जीतन कर गीत में गालक,
गीत सुनिके शोषक जालिम कर नींद नहीं रे होलक!
आव रे भाइया बहिन मन मिल-जुली के,
जीतन मरांडी के बचाय लेवब रे,
फाँसी के फंदा से छुड़ाय लेवब रे!
शोषक-शासक पुलिस पर््शासन मिली के जीतन के फंसालक,
जनता से छीन के कानून कर जाल में फंसाकर फांसी देलक!
आव रे भाइया-बहिन मन मिल-जुली के
जीतन मरांडी के बचाय लेवब रे,
फांसी कर फंदा से छुड़ाय लेवब रे!
जाग चल भाइया बहिन मन फांसी कर सजा से बचाव,
जीतन मरांडी कर दिल में छिपल सच के देश के बतावा!
आव रे भाइया बहिन मन मिल-जुली के
फाँसी कानून के मिटाय देवब रे
फांसी कर फंदा से छुड़ाय लेवब रे ।२।
हिन्दी में अर्थ:-
आओ सब भाई-बहन मिलकर जीतन मरांडी को बचाएँ, फांसी की फंदा से छुड़ाएँ। पूँजीवादी समाज में उन्होंने दमन-अत्याचार देखा, जागा और रास्ता दिखाया जनमुक्ति के लिए गीत का स्वर सजाया, ढोल-नगाड़ा, मंदर बजाकर मुक्ति का गीत गया। शोषक-शासकों का जुल्म, शोषण अत्यचार उसकी गीत में गया। जिसे सुन कर जालिमों की नींद नहीं हुई और शोषक पुलिस-प्रशासन मिल कर जीतन मरांडी को फंसाया। जनता से छीन कर कानून की जाल में फंसा कर फांसी की सजा दिया। जागोचले सब भाई-बहन मिलकर फांसी की सजा से बाचाएँ, जीतन मरांडी की दिलों में छिपे सच्चाई को देश का बताएँ। फांसी कानून को मिटाने आगे आएँ। मिल-जुल कर जीतन मरांडी को फांसी की फंदा से छुड़ाएँ।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें