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गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

जनसंस्कृतिकर्मी जीतन मरांडी और अन्य लोगों के बरी करवाने के लिए चलाया गया संयुक्त जनसंघर्ष जिन्दाबाद


मांग करें कि जीतन मरांडी के खिलाफ झूठे सबूत बनाने वाले पुलिस और राजनीतिज्ञ पर केस दर्ज किया जाए।

(जीतन मरांडी व अन्य साथियों की फांसी की सजा रद्ध होने के संदर्भ में दिल्ली में फांसी की सजा के खिलाफ हुई गोष्ठी में परित प्रस्ताव)
जनवादी और प्रगतिशील लोगों द्वारा तीन माह आठ महिने और तीन दिन तक निरन्तर अभियान चलाने के बाद ही जीतन मरांडी और तीन अन्य लोग बरी हुए। जीतन मरांडी पर केस लगाना और मौत की सजा देना अपराधी बनाने का ऐसा तरीका है, जिसे कानून के तथाकथित रखवाले इस पूरे उपमहाद्विप में अघोषित आपातकाल लागू करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं, जहां गरीबों में से सबसे गरीब अपनी सम्पदा, जिंदगी और आजीविका की लूट के खिलाफ लड़ रहे हैं।
ऐसे समय में हम मांग करते हैं कि उन लोगों पर केस दर्ज किया जाना चाहिए, जो ऐसे दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के लिए उत्तरदायी है। जीतन को बरी करवाने के लिए इस महाद्वीप में सशक्त तरीके से गोलबंद हुए लोगों का गुस्सा और विरोध दिखाता है कि जीतन एक ऐसे सांस्कृतिक कर्मी हैं जो जनता के दुखों और सपनों को अपने गानों के माध्यम से सामने ला सकता था। और इससे जागृत जनता की सामूहिक इच्छाशक्ति सत्ता की उस असहनशील कार्रवाई को चुनौती दे सकती थी जिसके तहत उपमहाद्विप के कई हिस्सों में झूठे केस बनाए जा रहे हैं, सिलसिलेवार गिरफतारी की जा रही हैं, बगैर किसी उचित कारण के लम्बे समय तक कोर्ट में पेश नहीं किया जाता है, यातनाएं देने, गायब करने, झूठी मुठभेड़ों में मारने, बलात्कार करने जैसे घनघोर कृत्य किए जा रहे हैं।
दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के अन्य मामलो की तरह इसमें भी हमें असहमतियों के सभी रूपों को अपराधी ठहराने का राज्य का बढ़ता रूझान दिखाई देता है, जबकि आरोपियों के अधिकारों और सुरक्षा करने के लिए बनाई गई प्रक्रियाओं और नियमों को विशेषतः राजनैतिक बंदियों के मामले में तरोड़ने मरोडने के पुलिस-राजनैतिज्ञों-न्यायिक प्रणाली के अपराधिक गठजोड़ की तो बात न ही की जाए तो अच्छा है। न्यायालय के फैसले से भी अधिक साफ तरीके से तो जीतन के वकील ने कहा है- ‘देवरी पुलिस स्टेशन ने नियमघाट पुलिस स्टेशने के इंचार्ज को 21 फरवरी 2008 को लिखे पत्रा न. 205/08 में कहा था कि नियमघाट के रहने वाले आरोपी जीतन मरांडी उर्फ श्यामलाल किसकु के नाम में तलाशी और गिरफतारी वारंट जारी किए जाएं। इससे साफ है कि पुलिस जिस जीतन मरांडी को खोज रही थी, उसकी बजाय उन्होंने किसी और जीतन मरांडी को गिरफतार कर लिया।
हम मांग करते हें कि पूरे झारखंड में जनकलाकार के बतौर विख्यात जीतन मरांडी को जानबुझकर गिरफतार करने वाले मुरारी लाल मीणा सहित अन्य पुलिसकर्मीयों पर केस दर्ज किया जाए, जिन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अपराधियों को कानून के न्यायालय में जीतन मरांडी की पहचान करने वाले झूठे गवाह बना दिये। कानून की अदालत में शपथ लेकर झूठ बोलना अवहेलना करने के समान है और ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपराध करने की कार्रवाई शुरू की जाए, अन्यथा राज्य की यह दुर्भावना पूर्ण कार्रवाई बेलगाम जारी रहेगी।

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