विषय वस्तु

शनिवार, 3 दिसंबर 2011


कमेटी फॉर द रिलिज ऑफ पॉलिटिकल परिजर्न्स (सीआरपीपी)
185/3ए चौथी मंजिल, जाकिर नगर, नई दिल्ली- 110025

जनकलाकार जीतन मरांडी और अन्यों को मौत की सजा देने का विरोध करो!
राज्य द्वारा मौत की सजा देने का विरोध करो!

कन्वेंशन के लिए आमंत्रण
इंटरनेशनल इंडिया सेंटर, 40, मैक्स मूलर मार्ग, (नजदीक खान मार्किट मेट्रो स्टेशन,) दिल्ली,
20 दिसम्बर 2011, 10 बजे सुबह से 8 बजे शाम तक

30/11/11
प्यारे दोस्तों,

हम सीआरपीपी की तरफ से आप सबका अभिनंदन करते हैं।
उदारीरकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण की नीति के तहत जनता पर राज्य के रोजाना बढ़ रहे हमलों के कारण उपजे विस्थापन, विनाश, वंचना और मौत का प्रतिरोध करने के अलावा जनता के पास कोई विकल्प नहीं है। जवाब में राज्य मौत की सजा का प्रयोग इसलिए करता है ताकि जनता के प्रतिरोध को कुचला जा सके। तथाकथित ‘आतंक पर युद्ध’ भी एक ऐसा आसान बहाना है जिसके जरिए राज्य सभी तरीके के राजनैतिक असहमतियों को आपराधिक घोषित कर देता है और उपमहाद्विप में अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाता है। सीआरपीपी ने एक दिन की कन्वेंशन करने का निर्णय लिया है जिसमें भारतीय राज्य द्वारा मौत की सजा को जनता के खिलाफ प्रयोग करने का विरोध किया जाएगा।

इस संदर्भ में झारखंड के सांस्कृतिककर्मी जीतन मरांडी और अन्यों को दी गई फांसी की सजा का अति महत्व है। जीतन मरांडी सीआरपीपी का सचिव भी है। दिल्ली में होने वाली कन्वेंशन में जनकलाकार जीतन मरांडी और अन्यों को दी गई मौत की सजा के फैसले पर केंद्रीत करते हुए मौत की सजा का विरोध करने पर बल दिया जाएगा। कन्वेंशन 20 दिसम्बर, 2011 की सुबह 10 बजे से सांय 8 बजे तक इंडिया इंटेरनेशनल सेन्टर में होगी।

ऐसे दौर में इस गोष्टी का होना बहुत महत्वपूर्ण है जब राज्य सभी तरह की असहमतियों को दबाने के लिए उन्हें आपराधिक घोषित कर रहा है। यह भी महत्वपूर्ण है कि एक गरीब किसान परिवार में जन्में जीतन मरांडी अपनी सामाजिक स्थिति के कारण और जनता के कठिन जिंदगी को देखकर गीतों के माध्यम से राज्य के बढ़ते दमनकारी रूझान का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहे थे और उत्पीड़न और शोषण के सभी तरीकों के खिलाफ व्यापक जनता को गोलबंद होने की आवश्यकता पर बल दे रहे थे। झारखंड के शोषित और उत्पीड़ित आदिवासियों के सांस्कृतिक मंच ‘झारखंड एभेन’ का हिस्सा बनकर जीतन मरांडी ने लोगों की आकांक्षा और दुःख-दर्द को अभिव्यक्ति दी। इसी प्रक्रिया में उनकी आवाज झारखंड के उत्पीड़ितों और शोषितों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि उन सभी की आवाज बन गई जो इस उपमहाद्विप में अमानवीय अस्तित्व के खात्में को सपना देखते हैं। वो उन सभी प्रकार के प्रतिरोधों के प्रतिनिधि बन गए जो सबसे वंचित, उत्पीड़ित और शोषित जनता के दुःख दर्द और गुस्से को आवाज देते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि एक जनकलाकार कार्यकर्ता को केवल इस कारण से मौत की सजा सुनाई गई, क्योंकि उन्होनें सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मेहनतकश जनता की भयावह स्थिति को गुंजायमान किया।

चिलखारी केस कानून के रखवालों की आपराधिक मिलीभगत के लिए कुख्यात है- जिसमें जीतन के खिलाफ झूठे गवाह खड़े करके सारी प्रक्रिया को फर्जी साक्ष्यों के जरिए तोड़-मरोड़ दिया गया; जिसमें कानून बैक सीट पर पहुंच गया और झारखंड की राजनीति में सत्ताधारियों की मिलीभगत से घृणा और बदला हावी हो गया। ऐसे में जीतन मरांडी को न्याय दिलाने के लिए आवाज बुलंद करना बहुत महत्वपूर्ण है।

समय की मांग है कि सभी तबके एकमत से फांसी की सजा का खासतौर पर इस फैसले की खिलाफत करें ताकि इस फैसले के खिलाफ आवाज को सशक्त किया जा सके और जीतन मरांडी का बरी होना सुनिश्चित हो सके। सीआरपीपी कन्वेंशन में जीतन मरांडी की रिहाई को सुनिश्चित करने के लिए ‘बचाव कमेटी’ बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत भी करेगा। हम जल्द ही कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा और जीतन मरांडी के बारे में तथ्य पत्र जारी करेंगें।

इतिहास गवाह है कि जब भी लोग राज्य की इस तरह के जघन्य निर्णयों के खिलाफ इक्ठ्ठा हुए हैं, तो राज्य के पास जनता की सामूहिक इच्छा के समक्ष झुकने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। हम सभी प्रगतिशील, जनवादी ताकतों से अपील करते हैं कि वे जीतन मरांडी को बरी कराने और इसी प्रक्रिया में सभी राजनैतिक बंदियों को बगैर शर्त रिहा कराने की मुहिम को सशक्त बनाने के लिए इस संघर्ष का हिस्सा बने।

एकजुटता में,

एस ए आर गिलानी
कार्यकारी अध्यक्ष,

अमित भट्टाचार्य
महा सचिव,

रोना विल्सन
सचिव, जनसम्पर्क

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