यॉन मिर्दल की
भारत यात्रा प्रतिबंधित लगाने पर क्रान्तिकारी जनवादी मोर्चा का वक्तव्य
क्रान्तिकारी
जनवादी मोर्चा (आरडीएफ)
सम्पर्क : revolutionarydemocracy@gmail.com
24 मई 2012
भारतीय राज्य ने
असहमति और आलोचना की सभी आवाजों पर शिकंजा कसने की हालिया फासीवादी चाल के तहत
स्वीडन के विख्यात यॉन मिर्दल पर भविष्य में भारत की यात्रा करने पर प्रतिबंध
लगाने का निर्णय लिया है, क्योंकि वह भारत
की जनता के संघर्षों का समर्थन करते हैं। हाल ही में राज्य गृह मंत्री जितेंद्र सिंह
ने संसद में ब्यान दिया कि यॉन की भविष्य की हर यात्रा पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया
जाएगा, क्योंकि उन्हें सीपीआई
(माओवादी) को सलाह देने और उनके लिए प्रचार करने का दोषी पाया गया है।
ऐतिहासिक तौर पर
पूरी दूनिया में जनपक्षीय बुद्धिजीवी और स्कॉलर मूलभूत अधिकारों के लिए होने वाले
जनांदोलनों के साथ हमेशा खड़े रहे हैं। यॉन मिर्दल भी जिंदगीभर साम्राज्यवादी
विरोधी आन्दोलनों और संघर्षों के साथ तन कर खड़े रहे हैं। वियतनाम पर अमेरिका के
हमले के खिलाफ उन्होनें युरोप और स्वीड़न में आंदोलन का नेतृत्व किया था और
फिलिस्तीन, अफगानिस्तान, चीन और दुनिया भर के चलने वाले जनांदोलन के
समर्थन में भी खुलकर लिखा है। उन्होनें कई बार भारत का दौरा किया है और भारतीय
स्थितियों जन प्रतिरोध को समझा है और उसके बारे में लिखा है। सन् 2010 में 83 वर्ष की उम्र में उन्होनें दण्डकारण्य का विस्तृत दौरा किया, ताकि आपरेशन ग्रीन हंट के नाम पर जनता पर छेड़े
गए युद्ध के खिलाफ जारी जनप्रतिरोध और जल-जंगल-जमीन के लिए आदिवासियों के व्यापक
आंदोलन का सीधा अनुभव प्राप्त किया जा सके। वहां वे सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष
नेताओं से मिले और पार्टी के महासचिव का इंटरव्यू लिया।
इसी अनुभव के
आधार पर उन्होनें ‘रेड़ स्टार अॅवर
इंडिया - इमप्रेशन, रिफलेक्शन एंड
डिस्कशन वेन द रिचेड ऑफ अर्थ राइजिंग’ नाम से किताब लिखी। यह किताब भारत में काफी बिकी है और इसका दूसरा संस्करण
निकलने जा रहा है। साथ ही कई क्षेत्रिय भाषाओं जैसे बंगाली, तमिल, तेलगू, पंजाबी में इसका अनुवाद किया जा रहा है तथा
अन्य भाषाओं में अनुवाद करने के अनुबंधों पर चर्चा चल रही है।
किताब काफी
विश्लेषणात्मक है और इसमें भारतीय राज्य की गैर-जनवादी और जनविरोधी नीतियों और
इसके खिलाफ खड़े हो रहे जनप्रतिरोध की तीखी आलोचना की गई है। इसी साल इस किताब का
भारत में लोकार्पण करने के लिए उन्हें कोलकाता पुस्तक मेले में बुलाया गया। इसके
बाद कोलकाता, हैदराबाद,
लुधियाना और दिल्ली में उनके कई लैक्चर हुए।
दिल्ली में जनता पर युद्ध के खिलाफ मंच ने उन्हें राजकीय दमन के मामले पर बोलने के
लिए आमंत्रित किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने उन्हें नवीन बाबु
यादगार में प्रथम लैक्चर देने के लिए आमंत्रित किया, ताकि नवीन बाबु की शहादत को याद किया जा सके जोकि जेएनयू के
छात्र थे और उन्हें 10 फरवरी,
2001 में उन्हें आंध्र प्रदेश
की राज्य बलों ने मार दिया था।
गृह मंत्रालय को
यॉन के इस सारे कार्यक्रम के बारे में जानकारी थी और उनके सारे लैक्चर और लेख
प्रकाशित हुए हैं और ये सारे सार्वजनिक हैं। गृह मंत्री की इस सारी चिल्ल-पौं का
केवल एक ही कारण है कि वो यॉन मिर्दल द्वारा उठाए गए मुद्धों, चिंताओं और तीखी आलोचनाओं का सामना नहीं कर पा
रहे हैं और वे इतने विख्यात स्कॉलर हैं कि उनकी आलोचना को दुनियाभर में गंभीरता से
लिया जाएगा। दिल्ली में दिए लैक्चर में उन्होनें साफतौर पर कहा कि ‘जनता पर यह युद्ध मात्र आर्थिक कारणों, लालच और मुनाफे के लिए छेड़ा गया है। इस सच को भारत
की सरकार ने सरकारी दस्तावेजों में भी लिखा है।’
इस साधारण सच को
यॉन जैसे विख्यात और स्वीकार्य व्यक्ति द्वारा दोहराना भारत की सरकार स्वीकार नहीं
कर पा रही और इसीलिए वह चिंतित हो गई। यॉन ने खुद सामने आकर अपनी भारत यात्रा को
उचित ठहराया है और भारत सरकार के प्रचार को खारिज करते हुए अपने उद्देश्य को साफ
किया है। स्वीडन के विदेश मंत्री को लिखे पत्र में उन्होनें साफ-साफ लिखा है कि ‘भारत में हो रही तीखी चर्चा और बहस पश्चिमी
देशों के हमारे मीडिया में दिखलाई नहीं देती है। यह किसी भारत के सरकारी सैंसरसिप
के कारण नहीं हो रहा है (जैसा कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश ने भारत में
किया था)। यह हमारी मीडिया के सम्पादकीय ‘प्रहरियों’ की सैंसरशिप के
कारण हो रहा है (और भारत में हमारे पत्रकारों की खुद की सैंसरशिप के कारण हो रहा
है)।’
और उनका यह मानना
सही है कि दुनियाभर के कार्यकर्ताओं से सम्पर्क करना और समझ को साझा करना आज की
समय की मूल जरूरत है, ताकि व्यापक
साम्राज्यवाद विरोधी एकजुटता कायम की जा सके। यॉन मिर्दल पर प्रस्तावित प्रतिबंध
असहमति और विरोधी आवाजों पर फासीवादी शिकंजा कसने की नीति का ही हिस्सा है।
भारतीय राज्य विरोध
को अपराधिक ठहराने के लिए और असहमति और प्रतिरोध की आवाजों और बलों को दबाने के
लिए कई दमनकारी उपाए सिलसलेवार लागू कर रहा है। एक तरफ, भारतीय राज्य अर्धसैन्य, सैन्य, पुलिस बलों,
वायुसेना और गुंडा गिरोहों का प्रयोग करके जनता
पर खुनी युद्ध छेड़े हुए है और दूसरी ओर, यह राजनैतिक पार्टियों, जनसंगठनों,
सांस्कृतिक मोर्चो पर प्रतिबंध व रोक लगाकर और
झूठे केसों में जनता को गिरफ्तार कर रही है। साथ ही, जनांदोलनों को बदनाम करने के लिए कारपोरेट मिडिया के माध्यम
से झूठा प्रचार करके मनोवैज्ञानिक युद्ध चला रहा है।
भारत का खुफिया
विभाग इंटेलिजेंस ब्यूरों महिला कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए अपमानजनक झूठे
आडियों, विडियों और ईमेल भेजने
जैसें गंदे तरीके अपना रहा है। यॉन पर प्रस्तावित प्रतिबंध लगाना आलोचना की सशक्त
आवाज को चुप कराने का भारत के राज्य का एक और प्रयास है। भारत और दुनियाभर की
प्रगतिशील और जनवादी ताकतों को भारतीय राज्य के इस फासीवादी तरीके के खिलाफ आवाज
बुलंद करनी चाहिए। यॉन मिर्दल पर प्रस्तावित प्रतिबंध को तुरंत प्रभाव से वापिस
लेना चाहिए।
अध्यक्ष वरवरा
राव 09676541715
महासचिव राजकिशोर
09717583539
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें